बुधवार, 29 फ़रवरी 2012

पंचायती राज : महत्वपूर्ण तथ्य


पंचायती राज व्यवस्था भारत की अपनी मौलिक व्यवस्था हैऔर इस तरह की प्रणाली सिर्फ भारत में ही पाई जाती है
स्वतंत्र भारत में अक्तूबर १९५९ को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के द्वारा राजस्थान के नागौर जिले से पंचायती राज की शुरुआत की गयी
पंचायती राज व्यवस्था के सुधार के लिए गठित समितियां :-
बलबंत राय मेहता समिति - १९५७ अशोक मेहता समिति - १९७७ पी० वी० के० राय समिति -१९८५ लक्ष्मी मल सिंघवी समिति - १९८६
भारतीय संविधान में पंचायती राज की जानकारी राज्य के लिए नीति निर्देशक तत्वों के अंतर्गत अनुच्छेद ४० में दी गयी है ६४ वाँ संविधान संशोधन- १९८९ ७३ वाँ संविधान संशोधन - १९९३
७३ वाँ संविधान संशोधन पंचायती राज से सम्बंधित हैइसके द्वारा संविधान के भाग अनुच्छेद २४३ तथा अनुसूची ११ का प्रावधान किया गया है
बलबंत राय मेहता समिति के सुझाव पर भारत में त्रिस्तरीय ढांचे का प्रावधान किया गया

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

पटवारी परीक्षा की तैयारी कैसे करे !


हाल ही में मध्य प्रदेश में राजस्व बिभाग के अंतर्गत पटवारी परीक्षा हेतु विज्ञप्ति जारी की गयी है । इस परीक्षा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता ये है , कि यह परीक्षा ऑनलाइन होनी है । यह मध्य प्रदेश शासन कि पहली परीक्षा होगी जिसमे ऑनलाइन परीक्षा हो रही है । ऐसा इसलिए हो रहा है , क्योंकि पिछली पटवारी परीक्षा में बहुत अधिक धांधली होने की शिकायत मिली थी । अधिकाश परीक्षार्थियों के पास कंप्यूटर के डिप्लोमा नही थे । मगर इस बार ऑनलाइन परीक्षा होने से इस तरह के परीक्षार्थी स्वमेव ही अलग हो जायेंगे ।
भू अभिलेख एवं बंदोबस्त कार्यालय द्वारा इस परीक्षा का सिलेबस इस प्रकार दिया गया है :-
- सामान्य ज्ञान - सामान्य गणित एवं सामान्य अभिरुचि - सामान्य हिंदी - सामाजिक व्यवस्था - ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं पंचायती राज - कंप्यूटर दक्षता
अब ध्यान देने वाली बात ये है कि देखने में ये सिलेबस भले ही छोटा लगे मगर ये है बहुत बड़ा है , क्योंकि
१- सामान्य ज्ञान - इसके अंतर्गत
भारतीय इतिहास (प्राचीन, मध्यकालीन , आधुनिक ),
भूगोल (खगोलकी, विश्व एवं भारत का ),
अर्थशास्त्र (विश्व एवं भारत का ),
सामान्य विज्ञान ( जीव विज्ञान , रसायन , भौतिकी, वनस्पति विज्ञान , जंतु विज्ञान, पर्यावरण आदि )
समसामयिकी ( पिछले एक वर्ष की गतिविधिया )
खेल जगत ( प्रतियोगिताये , मैदान , नियम , खिलाडी , परिणाम आदि )
विविध ( विश्व एवं भारत में प्रथम , पुरष्कार एवं सम्मान, छोटा-बड़ा, ऊँचा-नीचा , संगठन-मुख्यालय , दिवस आदि )
इसी तरह सामान्य गणित एवं सामान्य अभियोग्य्ताओ के अंतर्गत-
सरलीकरण, संख्या पध्दति, भिन्न, लघुत्तम-महत्तम समापवर्तक, घातांक, प्रतिशत , लाभ -हानि , साधारण व्याज , चक्रवार्द्धि व्याज, औसत, अनुपात एवं समानुपात, साझेदारी, मिश्रण, समय एवं काम , नल और टंकी , समय-चाल और दूरी , क्षेत्र मिति
त्रिकोणमिति , ज्यामिति, वीज्गानित, क्रमचय-संचय, प्रायिकता , अनुक्रम , घडी , केलेंडर, सांख्यिकी, बट्टा, जोड़-घटाव, गुणा-भाग आदि

सामान्य हिंदी में
वर्णमाला, संज्ञा, सर्वनाम , क्रिया, विशेषण , काल , वचन , लिंग , वाक्य रचना, संधि, समास , छंद , रस, अलंकार , काव्य , काव्य के प्रकार , शब्द शक्ति , मुहावरे-लोकोक्तियाँ ,पर्यायवाची शब्द, समानार्थी शब्द , विलोम शब्द, अनेकार्थ शब्द , अनेक शब्दों के एक शब्द ,साहित्यिक रचनाये एवं काल आदि
इस तरह देखा जाये तो छोटा दिखने वाला ये सिलेबस बहुत बड़ा हो जाता है , और इसकी तैयारी के लिए मात्र एक माह का समय मिला है , जो कि बहुत कम है । अतः अब परीक्षार्थियों को बहुत सही ध्यान से चय्नाताम्क तरीके से अधिक परिश्रम करना होगा । क्योंकि अगर परीक्षार्थी पूरा सिलेबस पढने कि कोशिश करते है , तो असंभव है । सबसे सही तरीका चयनात्मक पढाई होगी । इसके लिए सही और सार्थक मार्दर्शन कि जरुरत होगी ।

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

मध्य प्रदेश : कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ( राजनैतिक व्यक्तित्व )















मध्य
प्रदेश का चाणक्य - पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र


मध्य
प्रदेश के विधि पुरुष - पंडित कुंजी लाल दुबे ( प्रथम विधान सभा अध्यक्ष )
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री - पंडित रवि शंकर शुक्ल
मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल - बी० पट्टाभि सीतारमैया
मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री - उमा भारती
मध्य प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल - सरला ग्रेवाल
मध्य प्रदेश के सबसे कम समय तक के मुख्यमंत्री - राजा नरेश चंद (१३ दिन )
मध्य प्रदेश के सर्वाधिक समय तक के मुख्यमंत्री - दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश के सर्वाधिक बार रहे मुख्यमंत्री - श्यामा चरण शुक्ल (तीन बार )
मध्य प्रदेश के मूख्य मंत्री जिनके कार्यकाल में सबसे पहले राष्ट्रपति शासन लगा - श्यामा चरण शुक्ल (१९७७ में )
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जिनके शासनकाल में सर्वाधिक बार राष्ट्रपति शासन लगा - सुन्दर लाल पटवा (दो बार )

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

भारतीय संविधान का विकास

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__________

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (राज्य सेवा परीक्षा ) की तैयारी कैसे करें .

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा में सफल होना अनेक अभ्यर्थियों का सपना होता है . बहुत से परीक्षार्थी परिश्रम तो बहुत करते है , परन्तु आशानुरूप सफलता नही मिल पाती है . इसका कारण सही दिशा में सार्थक परिश्रम नहीं करना होता है . सबसे पहले मैं ये कहना चाहूँगा कि राज्य सेवा परीक्षा कि प्रकृति को समझे ! अर्थात हमें सर्वप्रथम इस परीक्षा कि प्रवत्ति को समझना होगा . अक्सर लोग इस पूरी परीक्षा को तीन अलग अलग परीक्षाओ कि तरह मानते है , जो कि गलत है . राज्य सेवा परीक्षा में तीन स्तर ( प्रारंभिक परीक्षा , मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार ) होते है . न कि तीन अलग परीक्षाये होती है .
समस्या ये होती है , कि परीक्षार्थी सबसे पहले तो प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करते है , जब कुछ साल तैयारी के बाद प्रारंभिक परीक्षा में सफल होते है , तो फिर मुख्य परीक्षा की तैयारी शुरू करते है , विषय चयन करते है , मगर प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के बाद मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए ३-४ महीने मिलते है , जो कि पर्याप्त नही होते है . जब प्रारंभिक परीक्षा जिसमे मात्र दो प्रश्न पत्र (६०० अंक )होते है , उसके लिए इतना समय परीक्षार्थी देते है . मगर मुख्य परीक्षा जिसमे सात प्रश्न पत्र (२१०० अंक) होते है , और जिस परीक्षा के आधार पर ही चयन होना है , उसके लिए मात्र २ से ४ महीने ! ये तैयारी का तरीका ही गलत है .
 हम अगर सही तरीके कि बात करें तो जब पूरी एक ही परीक्षा है , बस उसके तीन अलग स्तर है . तो फिर एक ही परीक्षा के तीनो स्तर कि तैयारी एक साथ ही होनी चाहिए  न की अलग अलग . परीक्षार्थी जब राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करते है , तभी उन्हें मुख्य परीक्षा के दोनों वैकल्पिक विषय चुन लेने चाहिए . ताकि बाद में तैयारी में  समस्या न हो . एक साथ ही तीनो स्तरों की तैयारी करनी चाहिए . अगर हम मुख्या परीक्षा की तैयारी के साथ प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करते है , तो प्रारंभिक परीक्षा भी निकलेगी साथ ही मुख्य परीक्षा के लिए समयाभाव भी नही होगा

सीसेट क्या है ? कैसे करें इसकी तैयारी ?

संघ लोक सेवा आयोग के बाद मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग भी राज्य सेवा परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय  की जगह  अब  सीसेट ( सिविल सर्विस एप्तित्युट  टेस्ट ) लेन जा रही है . सीसेट के बारे में लोगो द्वारा कहा जा रहा है , कि इसमें मैथ्स रीजनिंग  या बैंकिंग अभियोग्यता आनी है. तो ये बात सरासर गलत है . इसका प्रमाण पिछली बार कि संघ लोक सेवा कि परीक्षा है . 
सवाल ये उठता है , कि आखिर क्यों संघ लोक सेवा आयोग और राज्य सेवा आयोग ये परिवर्तन करने जा रहा है ? तो इस परीक्षा प्रारूप का मुख्या उद्देश्य अभ्यर्थी की सिविल सेवा के लिए उपयुक्त अभियोग्यता की जाँच करना है . तथा अति महत्पूर्ण पदों के लिए सुयोग्य उमीदवार का चयन करना है .
सिविल सेवा में वर्षो से चली आ रही प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र में विभिन्न वैकल्पिक विषयों से प्रश्न पूछे जाते थे . जिनका सिविल सेवा की कार्यप्रणाली और आम जनता से कुछ भी लेना देना नही होता था . कोई भी अभ्यर्थी इन विषयों को रट कर अच्छे अंक प्राप्त कर सकता था . ऐसी स्तिथि में अभ्यर्थी की किसी विशेष विषय सम्बन्धी ज्ञान का तो पता चल जाता था , परन्तु ये पता नही चल पाता था , कि वह सिविल सेवा के योग्य है या नही . अच्छे अंक प्राप्त करने के कारन आयोग कि उस अभ्यर्थी को चुनने की बाध्यता हो जाती  थी . अतः अब सीसेट के माध्यम से विषय वस्तुओ को रटने की प्रवत्ति को घटा कर सही अभियोग्यता को पहचानना है .
सीसेट के अंतर्गत निम्न विषय होंगे -
-सामान्य मानसिक योग्यता 
-आधारभूत गणना
-तार्किक  योग्यता एवं विश्लेष्णात्मक योग्यता
-निर्णयन एवं समस्यायों का समाधान 
-समंको की व्याख्या एवं पर्याप्तता 

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

जनगणना २०११ : भारत और मध्य प्रदेश

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